नवरात्रि में दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा पूजन विधि पूजा मंत्र पौराणिक कथा राशि अनुसार उपाय
देवी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को भावनात्मक शक्ति प्रदान करती हैं। अपने जीवन की सबसे खराब परिस्थितियों में भी यदि व्यक्ति ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करें तो उनकी कृपा से संतुलन और आत्मविश्वास की भावना व्यक्ति के जीवन में बनी रहती है। देवी ब्रह्मचारिणी प्रेम, निष्ठा, ज्ञान, और बुद्धि से संबंधित देवी मानी गई हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी का महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी एक तपस्वी देवी हैं। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी अवतार की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। माना जाता है कि जो कोई भी भक्त एकाग्र मन से माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है उसे मां का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।
मां ब्रह्मचारिणी ने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और उनके दाहिने हाथ में एक जप माला है और बाएं हाथ में कमंडल स्थापित है। वह विश्वसनीयता और ज्ञान का प्रतीक हैं। इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी प्रेम का सार भी हैं।
मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ काफी खास होता है। दरअसल ब्रह्मा का अर्थ है तपस्या और चारणी का अर्थ है आचरण। जिसका मतलब हुआ कि यह देवी एक तपस्या की देवी हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की वृद्धि होती है। इसके अलावा देवी की पूजा करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है जिससे वह बिना घबराए जीवन की समस्त चुनौतियों का सामना कर सकता है।